Sudha Murthy इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष है इसके अलावा, Sudha Murthy एक भारतीय शिक्षिका, लेखिका और एक सांसद है।

Sudha Murthy मराठी, कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा में किताब लिखती है। उनकी बोली कन्नड़ होने के बावजूद भी मराठी इतना अच्छा बोल लेती है की सुनने वाला हक्का-बक्का रह जाता है। बहुत सारी किताबें उनकी मराठी में लिखी हुई है। वह विख्यात सामाजिका और कुशल लेखिका है।Sudha Murthy का जन्म 19 August 1950 Karnataka Shingaon के ब्राह्मण परिवार में हुआ है।
Sudha murthy के पिताजी डॉक्टर R H कुलकर्णी एक सर्जन और माता विमला कुलकर्णी Sudha Murthy के अलावा तीन भाई बहनों को उन्होंने अच्छे संस्कार और उच्च शिक्षण के प्रति हमेशा जागरूक रखा।
Sudha Murthy ने संगणक वैज्ञानिक और अभियंता से अपने करियर की शुरुआत की। टेल्को कंपनी में चुनी गई वह पहली महिला अभियंता थी । इससे पहले टेल्को कंपनी में कभी भी किसी महिला ने काम नहीं किया था सुधा मूर्ति अकेली पहली महिला थी जिन्होंने टेल्को कंपनी में काम करने का अनुभव लिया।
टेल्को कंपनी में ही नहीं तो मुंबई और जमशेदपुर यहां भी Sudha Murthy ने काम किया उसके बाद उन्होंने प्राध्यापिका के पद पर भी काम किया । इन्फोसि इस संस्था के कार्य में उनका विशेष सहभागी है। इस संस्था में वह विश्वस्त रूप में कार्यरत है।
SUDHA MURTHY HARD JOURNEY

”अगर आप सबको खुश करने की कोशिश करेंगे तो आप किसी को भी खुश नहीं कर पाएंगे। दूसरों की खुशी के लिए अपना जीवन जीना असंभव है।” SUDHA MURTHY QUOTES
SUDHA MURTHY HUSBAND
N.R. Narayan Murthy का जन्म 20 अगस्त 1946 को भारत के दक्षिण–पश्चिम राज्य कर्नाटक के शहर सीडलघट्टा मैं एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके माता-पिता की आठ संतान थी और वह पांचवें नंबर पर थे।
आठ भाई बहन होने के कारण नारायण मूर्ति को अपनी पढ़ाई पर बहुत सैक्रिफाईस करने पड़े । आईआईटी में एमटेक पूरा करने के बाद लिखने की रुचि होने के बावजूद भी वह अपनी लेखन मात्रा को आगे नहीं बढ़ा सके।
उनके काम करने के जज्बे और जुनूनी ख्याल ने उन्हें कभी भी खाली बैठकर नहीं रहने दिया वह। हर नहीं चुनौती को अपनाकर खुद को साबित करते जा रहे थे।
उनको किताब भी लिखना बहुत पसंद था लेकिन टाइम की कमी की वजह से उनको ज्यादा किताबें लिखने को नहीं मिली। उनकी एकमात्र पुस्तक है “ए बेटर इंडिया” जो अभी भी बाजार में उपलब्ध है।

1967 में इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की।
1969 में आईआईटी कानपुर से मास्टर ऑफ़ टेक्नोलॉजी कंप्लीट किया।
Narayan Murthy की आर्थिक स्थिति बीकट होने के कारण और आठ भाई बहनों का खर्चा उठाने की हिम्मत माता-पिता में नहीं थी इस वजह से उनको पढ़ाई में बाधाए आ रही थी ।
वह असमर्थ थे आगे का खर्चा उठाने के लिए तो मैसूर के विश्वविद्यालय के डॉक्टर कृष्णमूर्ति सर ने नारायण मूर्ति का खर्चा उठाकर उनको आगे की शिक्षा के लिए प्रोत्साहन दिया।
Dr Krishnamurthy sir ने नारायण मूर्ति के अंदर की टैलेंट को पहचान लिया था। दो कृष्णमूर्ति सर ने नारायण मूर्ति से वादा किया कि वह उनको पढ़ने में मदद करेंगे और उनके पढ़ाई का पूरा खर्चा उठाकर उनको काबिल बनाएंगे ।
नारायण मूर्ति के पास पढ़ाई की क्षमताएं बहुत थी लेकिन पैसों की आवक की कमी की वजह से उनको कृष्णमूर्ति सर का कहना मानकर उनकी मदद लेनी पड़ी।
ऐसा भी कह सकते हैं कि पैसों की वजह से लाचार होने के कारण नारायण मूर्ति के पास और कोई पर्याय भी नहीं था। बाद में आर्थिक स्थिति अच्छी हो जाने पर नारायण मूर्ति ने कृष्णमूर्ति सर के नाम पर एक छात्रवृत्ति प्रारंभ के इस कर्ज को चुका दिया।
सिर्फ ₹10000 से और 6 दोस्तों के साथ मिलकर नारायण मूर्ति ने 1981 में इंफोसिस कंपनी की स्थापना की। 6 दोस्तों में से किसी के पास कम पैसे तो , किसी ने मिला जुटा कर , कुछ गिरवी रखकर, किसी से मांग कर, किसी से कर्जा उठाकर शुरुआत की, यह सफर बिल्कुल ही आसान नहीं था।
बहुत दिनों तक अपनी मेहनत पर टिके रहने के बाद उनको 1983 में उन्हें माइक बेंगलुरु से पहले क्लाइंट मिला। उस क्लाइंट की वजह से फिर इंफोसिस की सफलता की हिस्ट्री लिखनी चालू हो गई। इंफोसिस की ग्रोथ धीरे-धीरे बढ़ने लगी नारायण मूर्ति ने सीआईए के रूप में इन्फोसिस में काम भी किया ।
उनके नेतृत्व की वजह से कंपनी बहुत बड़े मुकाम तक जाकर पहुंच गई। कंपनी के साथ-साथ ही नारायण मूर्ति का नाम लोगों लोगों में सुनाई देने लगा। उन्होंने आईटी कंपनी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी। मुंबई के एक अपार्टमेंट में शुरू हुई यह कंपनी आज पूरी दुनिया में फेमस है।
अभी उनकी कंपनी पूरी दुनिया में कारोबार कर रही है। आज जो दुनिया पूरी आईटी सेक्टर पर टिकी हुई है उसे बात का क्रेडिट नारायण मूर्ति और उनके पास दोस्तों को जाता है। वह सिर्फ इस बात पर नहीं रुके तो लाखों लोगों को रोजगार भी दे रही है।
”बिना कार्रवाई के दृष्टि मात्र एक स्वप्न है; बिना कार्रवाई के दृष्टि मात्र समय व्यतीत करना है; लेकिन दृष्टि और कार्रवाई मिलकर विश्व को बदल सकते हैं।” SUDHA MURTHY QUOTES
A STRUGGLE FOR COLLEGE LIFE OF SUDHA MURTHY
Topper of the class
B.V.B. college , BE in Electrical Engineering
अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने की वजह से तत्कालीन कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री देवराज उर्स से स्वर्ण पदक जीता। उनके वक्त की वह पहली लड़की थी जिसने इंजीनियरिंग की थी ।
इंजीनियरिंग करने के बाद कॉलेज में और अपनी क्लास में टॉपर आई थी। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान से कंप्यूटर विज्ञान में एम आई कि उसमें भी प्रथम स्थान आने के लिए भारतीय इंजीनियर संस्थान से स्वर्ण पदक मिला।

Sudha Murthy के कॉलेज का एक किस्सा आपके साथ शेयर करते हैं।
1968 में सुधा मूर्ति ने इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया। ”द कपिल शर्मा शो” में सुधा मूर्ति ने खुद बताया कि जिस B.V.B. कॉलेज में उन्होंने एडमिशन लिया था उस कॉलेज में उनको कितनी दिक्कते आई।
उन्होंने बताया कि जिस कॉलेज में वह इंजीनियरिंग पढ़ने के लिए गई थी वहां के स्टूडेंट्स के साथ-साथ टीचर्स भी कहते थे कि लड़कियां थोड़ी ना इंजीनियरिंग में एडमिशन लेती है, और यह कितने दिन तक यहां टिक पाएगी यहां पर। दो-तीन महीने कॉलेज करने के बाद छोड़ देगी।
कोई लड़की और इंजीनियरिंग करना वह भी 149 लड़कों के साथ अकेली लड़की का पढ़ना उस वक्त बहुत चर्चा का विषय था और यह बात हर किसी को खटक रही थी कि कोई लड़की जो कि इतनी हिम्मत लेकर 149 लड़कों के बीच में इंजीनियरिंग कर रही है।
मगर सुधा मूर्ति ने बहुत विचार करने के बाद ही इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया था। वह तो इतनी आसानी से छोड़ने वाले नहीं थी। कॉलेज में कोई भी लड़का उनसे बात नहीं करता था 149 लड़के उनके कॉलेज में थे और ये एक अकेली लड़की, BVB कॉलेज में सिर्फ लड़के पढ़ते थे। इसलिए उसे कॉलेज में लड़कियों के लिए कोई भी वॉशरूम नहीं था।
जब एक-दो साल इंजीनियरिंग का कंप्लीट हुआ तब जाकर उनके लिए वॉशरूम बनाने के लिए प्रस्ताव मंजूर हुआ। 149 लड़कों के साथ इंजीनियरिंग का सफर तय करने वाली थी आसान तो नहीं था।
सुधा मूर्ति को बहुत दिनों तक यह दिक्कत आई के अगर वॉशरूम जाना होता तो कॉलेज से घर जाना पड़ता था। उनका बिहेवियर उनकी पढ़ाई का लगाव और उनके क्लास में टॉपर होने की वजह से फिर कॉलेज के टीचर्स और स्टूडेंट में उनके लिए लगाओ बढ़ने लगा।
बहुत सी कठिनाइयों के बाद भी Sudha Murthy ने फर्स्ट सेमेस्टर में टॉप किया था। तब जाकर एक दो लड़के ने उनसे खुद आकर बात करने की हिम्मत की थी। तब उन्हें पता चला था के यह कोई आम लड़की नहीं है।
उसके बाद एक-एक करके सभी लड़के ने सुधा मूर्ति जी के साथ बात करना चालू किया फिर सुधा मूर्ति ने कॉलेज का माहौल ही चेंज कर दिया उसके बाद 149 लड़के नहीं 150 स्टूडेंट पढ़ते है उस कॉलेज में।
”जीवन में अपने अनुभव के आधार पर मैं आपको बताना चाहता हूं कि अच्छे रिश्ते, करुणा और मन की शांति, उपलब्धियों, पुरस्कारों, डिग्रियों या धन से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।’‘ SUDHA MURTHY QUOTES
A SIMPLE LIFE STYLE : SUDHA MURTHY
Sudha Murthy जो की एक इंफोसिस कंपनी की अध्यक्षा है उसके बावजूद भी उनको डाउन टू अर्थ रहना पसंद है। शिक्षिका लेखिका के साथ-साथ 8 मार्च 2024 को राज्यसभा के खासदार के होने का भी अवसर मिला ।
जब 8 मार्च को जगदीश धनकर से उन्होंने खासदार पद की शपथ ली तब उन्होंने संसद में पहला भाषण दिया। एक खासदार होने के बावजूद भी इतना सिंपलीसिटी से भरा हुआ स्पीच दिया जिसने सबको मोहित कर दिया।
सुधा मूर्ति को तो यह भी पता नहीं था कि जब असेंबली में बोला जाता है तब एक खासदार के पास बोलने के लिए कितना वक्त होता है। उन्होंने अध्यक्ष महोदय से जब पूछा कि मुझे बोलने के लिए कितना वक्त मिलेगा ? तब अध्यक्ष महोदय ने बोला कि सिर्फ 5 मिनट।
तब सुधा मूर्ति ने कहा कि सर मैं एक शिक्षिका और एक लेखिका होने के वजह से मुझे नहीं लगता कि मैं अपनी बातें 5 मिनट में आपके आगे रख सकूंगी मुझे बिस्तर में बोलने की आदत है तो कृपया करके मुझे थोड़ा वक्त बड़ा कर दे दिया जाए। संसद में बैठे सभी लोगों को सुधा मूर्ति की इस बात का बहुत आश्चर्य लगा क्योंकि पहले कोई खासदार थी जिसे अध्यक्ष महोदय से टाइम बढ़कर और इतने प्यार से बात की हो।
Sudha Murthy के एक आर्टिकल से पढ़ा था कि पिछले 24 साल में उन्होंने एक भी साड़ी नहीं खरीदी।
अगर वह चाहे तो साड़ियों की कंपनियां खरीद सकती है लेकिन उनकी सिंपलीसिटी इतनी है की खुद के पास जो साड़ियां है उनको पहनना ही वह पसंद करती है।

एक इंटरव्यू में Sudha Murthy ने खुद बताया था कि उनको जब भी वक्त मिलता है वह अपने परिवार के लिए और अपने घर के नोकरो के साथ चूल्हे पर खाना बनाती है।
”तुम्हें इतना संवेदनशील नहीं होना चाहिए। संवेदनशील लोग जीवन में बहुत कष्ट झेलते हैं।”
SUDHA MURTHY QUOTES
MISUNDERSTANDING IN UNITED KINGDOM
सुधा मूर्ति भारत की सबसे अमीर महिलाओं में से एक है उनकी कुल संपत्ति 775 करोड रुपए है। सुधा मूर्ति और नारायण मूर्ति की संपत्ति लगभग 5 बिलियन डॉलर (36690 CR) है।
एक बार Sudha Murthy अपनी बेटी और दामाद से मिलने यूनाइटेड किंगडम जा रही थी। उनके पासपोर्ट पर ब्रिटिश के पंतप्रधान का एड्रेस लिखा था तब एयरपोर्ट पर उनको पूछा गया कि आपको सही में इस एड्रेस पर जाना है तब उन्होंने खुलासा किया कि हां ब्रिटिश के पंतप्रधान मेरे दामाद है। मैं इंडिया से सुधा मूर्ति हूं नारायण मूर्ति की बीवी। और ब्रिटिश के पंतप्रधान की मदर इन लॉ हुं।
इसके बावजूद भी उन्होंने सुधा मूर्ति की सिंपलीसिटी देखकर उनकी बातों पर यकीन ना कर कर ब्रिटिश के पंतप्रधान को कॉल करके इस बात की पुष्टि की । उसके बाद वहां के एयरपोर्ट के पूरे स्टाफ ने माफी मांग कर उनको बड़ी इज्जत के साथ वहां से रवाना किया।

इससे यह बात पता चलती है कि सुधा मूर्ति अपने रोजमर्रा की जिंदगी में भी कितनी सीधी और सादी जिंदगी का अवलोकन करती है।
इतनी बड़ी Infosys कंपनी की सहसंस्थापक होने के बावजूद भी उनको साधारण लाइफ जीना बहुत पसंद है।
SUDHA MURTHY SON
सुधा मूर्ति और नारायण मूर्ति के बेटे रोहण मूर्ति इनका जन्मदिन बहुत ऐसे कम लोग हैं जो जानते हैं। 1983 मैं उनका जन्म कर्नाटक की हुबली में हुआ है। बिशप कॉटन बॉयज स्कूल बैंगलोर से उनकी विद्यालय की शिक्षा पूरी हुई है।

कॉलेज की पढ़ाईकॉर्नेल यूनिवर्सिटी न्यूयॉर्क से और M.A. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ,कैंब्रिज,अमेरिका से।
Education –
Doctorate in computer engineering.
”अकेलेपन और एकांत में फर्क है। अकेलापन उबाऊ होता है, जबकि एकांत में आप अपने कामों और विचारों का निरीक्षण और परीक्षण कर सकते हैं।” SUDHA MURTHY QUOTES
LEFT 690000 CRORE AND START OWN COMPANY
SUDHA MURTHY और NARAYAN MURTHY के बेटे ROHAN MURTHY इनको INFOSYS कंपनी में वाइस प्रेसिडेंट के तौर पर नियुक्त किया गया था। कुछ दिनों तक पापा की कंपनी का कारोबार चलाने के बाद उन्होंने वह नौकरी छोड़कर खुद अपने बिजनेस की शुरुआत की, उनको कुछ अलग करके दिखाना था।
ज्यादातर देखा गया कि करोड़पति लोगों के बच्चे जो कि खुद का बिजनेस कभी नहीं करते, पापा के बिजनेस को ही आगे बढ़ा के लेकर जाते हैं लेकिन रोहन उनमें से नहीं निकले। वह ऐसे बच्चे थे के उनको खुद के दम पर कुछ अलग करके दिखाना था जिसे दुनिया उनके काम से उनके नाम से उनको पहचाने। ना कि पापा के नाम से उनकी पहचान हो।
रोहण मूर्ति बहुत ही जिद्दी और जुनूनी है जिनको खुद के दम पर खड़ा होना पसंद था। उनको अरबो की कंपनी में बड़ा पद और पैसा मिल रहा था। लेकिन उन्होंने यह ऑफर ठुकरा कर संघर्ष की राहों को चुना। प्रोग्रामिंग और इनोवेशन में दिलचस्पी के कारण रोहण मूर्ति टेक्नोलॉजी की दुनिया में आगे बढ़े हैं।
2014 में उन्होंने प्रसिद्ध कंप्यूटर वैज्ञानिक अर्जुन नारायण और जॉर्ज नीचीस के साथ मिलकर डिजिटल ट्रांसफॉरमेशन कंपनी सोरोको की शुरुआत की। 2022 में 18 मिलियन डॉलर लगभग 148 करोड रुपए का टॉप लाइव रेवेन्यू जनरेट किया।
DIVORCE
1ST WIFE (2011 TO 2013) | लक्ष्मी वेणु (TVS मोटर्स के अध्यक्ष की बेटी) |
2nd WIFE (2 DEC 2019) | अपर्णा कृष्णन (सावित्री कृष्णन और पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी कमांडर के. आर. कृष्णन की बेटी हैं) |
SON | एकाग्रह |
DAUGHTER | नही |
”आमतौर पर, संवेदनशील लोगों को वास्तविक दुनिया को समझने के लिए अधिक समय की आवश्यकता होती है।”
SUDHA MURTHY QUOTES
SUDHA MURTHY DAUGHTER
इंफोसिस के सह संस्थापक सुधा मूर्ति और नारायण मूर्ति के दो बच्चे हैं जिनमें से एक रोहण मूर्ति और दूसरी अक्षता मूर्ति है।
अक्षता मूर्ति का जन्म 25 अप्रैल 1980 को हुबली कर्नाटक में हुआ। अक्षता ने अपनी शिक्षा क्लियरमोंट मैककेना कॉलेज से अर्थशास्त्र और फ्रेंच में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। fashion institute of designing and merchandising or Stanford University से डिग्री पूरी की है।
अक्षता ने स्टेनफोर्ड युनिवर्सिटी से MBA भी किया है।
अक्षता जो प्रथम बुक्स फाउंडेशन के साथ जुड़े हुए थे जो भारत में वंचित बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के काम करती है। अक्षता मूर्ति भी अपनी माताजी सुधा मूर्ति की तरह समाज में अपना योगदान देती है। वह भी अपने माता जी की तरह सादा और सिंपल रहना पसंद करती है।
AKSHATA MUTTHY FAMILY LIFE
अक्षता मूर्ति ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पत्नी है।
ऋषि सुनक भारतीय मूल के ब्रिटिश राजनेता है । अक्षता मूर्ति की दो बेटियां है अनुष्का और कृष्णा। यूनाइटेड किंगडम में रहने के बावजूद भी उन्होंने भारतीय संस्कृति के ही नाम पर अपनी बेटियों के नाम रखें।
यह संस्कार तो सुधा मूर्ति और नारायण मूर्ति के जो विदेश में रहने के बावजूद भी अपनी संस्कृति से जुड़े हुए हैं।
2022 से 2024 तक यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री थे। ऋषि सुनक का जन्म 12 में 1980।
यूनाइटेड किंगडम के ऐसे पहले पंतप्रधान है जो भारतीय मूल के हैं। ऋषि सुनक उन 40 देश के प्रमुख मे से एक है जो 2023 में हुए G20 शिखर सम्मेलन में भाग लिए थे। ऋषि सुनक को भारत के दामाद कहते हैं।
”आमतौर पर, संवेदनशील लोगों को वास्तविक दुनिया को समझने के लिए अधिक समय की आवश्यकता होती है।”
SUDHA MURTHY QUOTES
SUDHA MURTHY SOCIAL WORK
सुधा मूर्ति को उनके सामाजिक कार्य के लिए कई सम्मान मिले है । उसमें से पद्म भूषण और पद्मश्री भी मिला है
✅कई स्कूलों में उन्होंने पुस्तकालय और कंप्यूटर की सुविधा दी है।
✅ लोगों को स्वास्थ्य के प्रति हमेशा जागरूक करती रहती है।
✅ सुधा मूर्ति ने ग्रामीण विभागों के लोगों के लिए विकास के लिए कार्य किया है और उनको सक्षम और निर्भर बनाने में काम भी किया है।
✅ जरूरतमंद लोगों को मदद करती रहती है।
SHUDHA MURTHY BOOKS

Sudha Murthy के पिताजी डॉक्टर थे और घर में एक पढ़ाई का लगाव भी था तो बचपन से ही सुधा मूर्ति को लिखने और पढ़ने में दिलचस्पी थी।
अपने इस दिलचस्पी को उन्होंने शादी के बाद बच्चे होने के बाद भी जारी रखा । सुधा मूर्ति के इंग्लिश, कनाडा , हिंदी, मराठी भाषा में कई सारे बुक है। इसमें से 9 नोवेल टेक्निकल बुक्स है। 3 travolouge हैं। 1 कलेक्शन शॉर्ट स्टोरी का है। थ्री कलेक्शंस नॉन फिक्शन पीस और दो बुक्स छोटे बच्चों के भी है।
BOOKS
- Wise and otherwise
- MahaShweta
- how I thought my grandmother to read and other stories
- The old man and his God
- Gently falls the bakula
- The bird with golden wings
- The day I stop drinking milk
- Grandma’s bag of story
- House of cards
- Dollar Bahu
- The magic drum and other favourite stories
- The mother I never knew
- Sometimes happened on the way to heavens
- The magic of the lost temple
- The serpent’s revenge
- Three thousand stitches
- The man from the egg
- Here, there, anywhere
- The upside down king
- How the sea become salty
- The daughter from wishing tree
- How the onion got its layers
- Grandparents bag of stories
- Gopi diaries : coming home
- The Gopi diaries : finding love
- The Gopi diaries : growing up
- The stage with two horns
- Common yet uncommon
”पैसा एक ऐसी चीज है जो शायद ही कभी लोगों को एकजुट करती है और अधिकतर लोगों को विभाजित करती है।’‘
SUDHA MURTHY QUOTES
SUDHA MURTHY NETWORTH
इतनी बड़ी कंपनी की मालकिन होने के बावजूद भी एक दिलचस्प बात है कि पिछले 25 से 30 सालों में अपनी कमाई से एक नई साड़ी भी नहीं खरीदी इतनी साधी और साधारण जीवनी है उनकी।
सालाना 300 करोड रुपए इनकम बताई जाती है। सुधा जी ने अपना करियर कंप्यूटर साइंटिस्ट के तौर पर चालू किया था । सुधा मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति जो के ब्रिटेन के पूर्व राष्ट्रपति की बीवी है फिर भी उनका रहन-सहन इतना सदा है के वह जमीन पर बैठकर चूल्हे पर खाना पकाने में बिल्कुल ही शर्माती नहीं।
आमतौर पर देखा जाए तो बहुत ऐसे सेलिब्रिटी , करोड़पति और मिलेनिअर लोग हैं जो की ऐसी बातें करने के लिए शर्माते हैं लेकिन अरबों खरबों की कंपनी की मालकिन होने के बावजूद भी सुधा मूर्ति की सिंपलीसिटी की चर्चा हमेशा होती ही रहती है।
सुधा मूर्ति एक शिक्षक है एक ऑथर है तो उनकी नेटवर्थ में इन्फोसिस के अलावा भी बहुत ऐसी इनकम है जिसमें उनकी नेटवर्थ में ग्रोथ होती ही रहती है।

FAQ
सुधा मूर्ति को खासदार बनाने की बात पर क्या बोले नरेंद्र मोदी ?

Sudha Murthy Narayan Murti की पत्नी जो किसी खास पहचान की मोहताज नहीं है। सुधा मूर्ति इंफोसिस की चेयरपर्सन की पत्नी और उनकी सिंपलीसिटी के लिए जानी जाने वाली हस्ती है । सुधा मूर्ति को राज्यसभा में राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ने नामांकित किया है। इस बात पर खुलासा करते हुए यह बात सामने आई कि पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि भारत की राष्ट्रपति ने सुधा मूर्ति को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। सुधा जी का सामाजिक कार्य वंचितों के लिए आर्थिक मदद और शिक्षा के लिए क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है । सुधा मूर्ति एक सोशल वर्कर है एक लेखक है एक मोटिवेशनल स्पीकर है सुधा मूर्ति के पास भले ही करोड़ों की संपत्ति है उनके बावजूद भी वह सादगी सी भरी हुई है । हमें खुशी है कि ऐसी बड़ी हस्ती राज्यसभा का परिवार बनने जा रही है।
महाकुंभ में झोला लेकर पहुंची सुधा मूर्ति ?

सुधा मूर्ति सिंपल रहन सहन की हमेशा बातें होती ही रहती है। उसी में से एक किस्सा है अभी हुए महाकुंभ में अपने सादगी का और एक उदाहरण प्रस्तुत किया। जब प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में भाग लेने पहुंची तब उन्होंने साथ में कुछ ज्यादा सामान ना ले जाते हुए सिर्फ हाथ में एक झोला वह भी खुद अपने हाथ में अपने कंधे पर डालकर चल रही थी। कोई बड़ा दिखावा नहीं कोई रहीसी का ढोंग नही। कॉटन की साड़ी पहनकर कंधे पर झूला डालकर प्रयागराज के महाकुंभ में शामिल हुई थी।
4 महीने का बच्चा कैसे बना दुनिया का सबसे कम उम्र वाला मिलेनियर ?
रोहण मूर्ति और अपर्णा कृष्णन मूर्ति के बेटे एकाग्रह जो अभी सिर्फ 4 महीने की ही है फिर भी दुनिया के सबसे बड़े अरबपति बने हैं। 10 नवंबर 2023 को पैदा हुए बच्चे को नारायण मूर्ति ने 240 CR के शेयर दिए जो के उनके पोते है।
क्यों नहीं खरीदी 30 साल से साड़ी?

सुधा मूर्ति ने एक इंटरव्यू में कहा था कि काशी यात्रा के दौरान यह संकल्प लिया है कि मैं अपनी सारी प्रिय चीजों को त्याग दूंगी उनमें से साड़ी भी एक है। उनको साड़ियां पहनना खरीदना बहुत पसंद था । तब से लेकर उन्होंने आज तक अपनी कोई भी पसंदीदा साड़ी नहीं खरीदी।
आखिर क्यों छोड़ दिया इंफोसिस ?
सुधा मूर्ति की सक्सेस के पीछे उनकी मेहनत उनका त्याग और समर्पण छुपा हुआ है इंफोसिस के सह संस्थापक नारायण मूर्ति की सफलता के पीछे भी यही स्टोरी है। जब कोई इंसान छोटा हो अगर वह बड़ा होने का सपना देख रहा हो तो समझ लेना चाहिए कि जब कोई बड़ा सपना देखा है तब वह इंसान खुद ही में मुश्किलों से घिरा हुआ लेकिन आसमान छूने का सपना उसकी आंखों में होता है। ऐसा ही सपना सुधा मूर्ति और नारायण मूर्ति ने देखा था जब उनके पास खर्च करने के लिए पर्याप्त पैसे भी नहीं थे। लेकिन सच्ची लगन और मेहनत से उन्होंने अपना सपना पूरा करके लाखों लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचा दिया है। अब जब उनका सपना पूरा हो ही गया है तो सुधा मूर्ति को ऐसा लगता है कि अभी अपने कर्तव्य से रिटायरमेंट लेकर समाज की सेवा भी करनी चाहिए। इसलिए सुधा मूर्ति ने इंफोसिस से निकाल कर समाज सेवा में खुद को झोंक दिया है।
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हमारा उद्देश्य आपको मशहूर हस्तियों की इंस्पिरेशनल कहानीयां , उनकी सफलता, उनका संघर्ष , उनकी कठिनाईया, उनके जीवन के उतार-चढ़ाव इनमें से निकल कर उन्होंने कैसे अपने जीवन को काबिल बनाया और अपनी अलग पहचान बनाई यह सब दिखाना है।
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